छत्रपति शिवाजी का स्वराज्य एवं उनका अप्रतिम सामाजिक योगदान...
राष्ट्रीय जीवन एवं ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में छत्रपति शिवाजी महाराज की महत्ता एवं योगदान को रेखांकित-मूल्यांकित करने के लिए तत्कालीन परिस्थितियों को दृष्टिगत रखना पड़ेगा। सदियों की गुलामी ने हिंदू समाज के मनोबल को भीतर तक तोड़ दिया था। पराधीन एवं पराजित हिंदू समाज को मुक्ति का कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और लोकरक्षक श्रीकृष्ण जैसे सार्वकालिक महानायकों का आदर्श सम्मुख होने के बावजूद वर्तमान दुरावस्था ने उन्हें हताशा और निराशा के गर्त्त में धकेल दिया था। सनातन समाज के अंतर्मन में संघर्ष और विजय की कामना तो पलती थी, पर परकीय शासन की भयावहता और क्रूरता उन्हें चुप्पी साध लेने को विवश करती थी। देश में विधर्मी-विदेशी आक्रांताओं का राज्य स्थापित हो जाने के पश्चात हिंदू जनता और अधिकांश हिंदू राजाओं के हृदय में गौरव, उत्साह और विजिगीष...........
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